Gulzar Shayari In Hindi | Gulzar Sahab Ki Top 50 Shayari Le Kar Aaya hu. Ya Ek Bahut Hi Famous Shayar Hai. Inko Sab Gulzar Ke Naam Se Jante Hai. Inka Pura Naam Sampooran Singh Kalra Hai. Umeed Karta Hu. Ye Shayari Aapke Dil Ko Chu Jayegi. Aapko Is Article Mein Gulzar Shayari Hindi, Gulzar Shayari In Hindi, Gulzar Shayari On Love, Gulzar Shayari Quotes Hindi, Gulzar Shayari Images Inse Related Hindi Shayari Milegi. Agar Aap Isme Interested Hai Toh Aap Mera Article Padh Sakte Hai. Jisme Aapko Gulzar Shayari Hindi, Gulzar Shayari In Hindi, Gulzar Shayari On Love, Gulzar Shayari Quotes Hindi, Gulzar Shayari Images Mil Jayegi By Gulzar Sahab. Ise Aap Apne Facebook, Whatsapp Per Bhi Share Kar Sakte Hai.
Best Collection Of Gulzar Shayari

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शाम से आँख में नमी सी है,
आज फिर आप की कमी सी है।

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वो उम्र कम कर रहा था मेरी,
मैं साल अपने बढ़ा रहा था।

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हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में,
रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया।

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ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में,
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में।

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कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ,
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की।

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एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है,
मैंने हर करवट सोने की कोशिश की।

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हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते।
Best Collection Of Gulzar Shayari

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आप के बाद हर घड़ी हम ने,
आप के साथ ही गुज़ारी है।

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कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था,
आज की दास्ताँ हमारी है।

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देर से गूँजते हैं सन्नाटे,
जैसे हम को पुकारता है कोई।
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अपने साए से चौंक जाते हैं,
उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा।
फिर वहीं लौट के जाना होगा,
यार ने कैसी रिहाई दी है।
राख को भी कुरेद कर देखो,
अभी जलता हो कोई पल शायद।
कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है,
ज़िंदगी एक नज़्म लगती है।
शाम से आँख में नमी सी है,
आज फिर आप की कमी सी है।
आदतन तुम ने कर दिए वादे,
आदतन हम ने एतिबार किया।
ज़ख़्म कहते हैं दिल का गहना है,
दर्द दिल का लिबास होता है।
आइना देख कर तसल्ली हुई,
हम को इस घर में जानता है कोई।
जब भी ये दिल उदास होता है,
जाने कौन आस-पास होता है।
तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं,
सज़ाएँ भेज दो हम ने ख़ताएँ भेजी हैं।
काँच के पार तिरे हाथ नज़र आते हैं,
काश ख़ुशबू की तरह रंग हिना का होता।
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
आदत इस की भी आदमी सी है।
गो बरसती नहीं सदा आँखें,
अब्र तो बारा मास होता है।
आप ने औरों से कहा सब कुछ,
हम से भी कुछ कभी कहीं कहते।
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई,
जैसे एहसाँ उतारता है कोई।
आँखों के पोछने से लगा आग का पता,
यूँ चेहरा फेर लेने से छुपता नहीं धुआँ।
Best Collection Of Gulzar Shayari
आँखों से आँसुओं के मरासिम पुराने हैं,
मेहमाँ ये घर में आएँ तो चुभता नहीं धुआँ।
ख़ामोशी का हासिल भी इक लम्बी सी ख़ामोशी थी,
उन की बात सुनी भी हम ने अपनी बात सुनाई भी।
ये रोटियाँ हैं ये सिक्के हैं और दाएरे हैं,
ये एक दूजे को दिन भर पकड़ते रहते हैं।
आग में क्या क्या जला है शब भर,
कितनी ख़ुश-रंग दिखाई दी है।
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़,
किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे।
चूल्हे नहीं जलाए कि बस्ती ही जल गई,
कुछ रोज़ हो गए हैं अब उठता नहीं धुआँ।
वो एक दिन एक अजनबी को,
मेरी कहानी सुना रहा था।
यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं,
सोंधी सोंधी लगती है तब माज़ी की रुस्वाई भी।
उसी का ईमान बदल गया है,
कभी जो मेरा ख़ुदा रहा था।
चंद उम्मीदें निचोड़ी थीं तो आहें टपकीं,
दिल को पिघलाएँ तो हो सकता है साँसें निकलें।
रात गुज़रते शायद थोड़ा वक़्त लगे,
धूप उन्डेलो थोड़ी सी पैमाने में।
भरे हैं रात के रेज़े कुछ ऐसे आँखों में,
उजाला हो तो हम आँखें झपकते रहते हैं।
ये शुक्र है कि मेरे पास तेरा ग़म तो रहा,
वरना ज़िंदगी भर को रुला दिया होता।
मैं चुप कराता हूँ हर शब उमडती बारिश को,
मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है।
जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ,
उस ने सदियों की जुदाई दी है।
ये दिल भी दोस्त ज़मीं की तरह,
हो जाता है डाँवा-डोल कभी।
रुके रुके से क़दम रुक के बार बार चले,
क़रार दे के तिरे दर से बे-क़रार चले।
दिल पर दस्तक देने कौन आ निकला है,
किसकी आहट सुनता हूँ वीराने में।
यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता,
कोई एहसास तो दरिया की अना का होता।
अपने माज़ी की जुस्तुजू में बहार,
पीले पत्ते तलाश करती है।
एक सन्नाटा दबे-पाँव गया हो जैसे,
दिल से इक ख़ौफ़ सा गुज़रा है बिछड़ जाने का।
सहमा सहमा डरा सा रहता है,
जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है।
बस इतना बता दो इंतज़ार करू,
या बदल जाऊ तुम्हारी तरह।
कुछ दिन और सही जनाब मगर,
जब मिलेंगे तो मुलाक़ात यादगार होगी।
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